"Vishnu Bhagwan नारायण सब कुछ देख रहे।
इंसान तेरे कर्मों का लेखा जोखा।
वो कहते हैं सब कुछ मैं हूं।
अपनी लीला में खुद लीन है महेश्वर।
जिनके हृदय में शिव हैं विराजे।
ध्यान शिव का ही करते हैं।
शिव के जो आराध्या हैं।
कहलाते वो नारायण ।।
कैसी है ये लीला, कैसा ये प्रेम हैं।
कभी बन जाते मोहिनी,
कभी धरती का भार उठाते हैं।
कोटि-कोटि नमन है हे लीला धर।
हम सब तेरे ही गुड़ गाते हैं।
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