White जब कभी वो छत पे आकर आसमां की
बहार देखती है,
पल में रुत बदल जाते हैं जब वो मौसम को
एक बार देखती है।
वो निगाहें उठाती है जो फिजाओं की तरफ़,
फिजाएं भी उसे होकर बेकरार देखती हैं।
छू कर गुज़रती हैं जब हवाएँ उसे,
फिर रुख़ बदल कर उसे बार-बार देखती हैं।
घटाएं झूम कर बरस जाती हैं,
जब एक नज़र वो बारिश की फुहार देखती है।
कितना खुशनसीब है वो आईना भी,
जिसमें वो खुद को कई-बार देखती है।
©Aarzoo smriti
#Jab kabhi wo chhat pe aakar Aasma ki bahar dekhti hai