महल तो मेरी सच्ची वफ़ा का भी ढह गया तुम कहाँ ख़ुद का | हिंदी शायरी

"महल तो मेरी सच्ची वफ़ा का भी ढह गया तुम कहाँ ख़ुद का झूठा ग़ुरूर बचा पाओगे"

 महल तो मेरी सच्ची वफ़ा का भी ढह गया
तुम कहाँ ख़ुद का झूठा ग़ुरूर बचा पाओगे

महल तो मेरी सच्ची वफ़ा का भी ढह गया तुम कहाँ ख़ुद का झूठा ग़ुरूर बचा पाओगे

बचा पाओगे क्या?

#ego #loyalty #Betray #Pain #Bond

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