बातें ऐसे करता हैं कोई, जैसे एहसाॅ उतरता हैं कोई, | हिंदी Poetry

"बातें ऐसे करता हैं कोई, जैसे एहसाॅ उतरता हैं कोई, खुद को कुछ यूं संभालते हैं हम, जैसे खिलौना संभालता हैं कोई, आइना देख कर तसल्ली हुई, अब भी मुझे जनता हैं कोई। ©Sahiba."

 बातें ऐसे करता हैं कोई,
जैसे एहसाॅ उतरता हैं कोई,
खुद को कुछ यूं संभालते हैं हम,
जैसे खिलौना संभालता हैं कोई,
आइना देख कर तसल्ली हुई,
अब भी मुझे जनता हैं कोई।

©Sahiba.

बातें ऐसे करता हैं कोई, जैसे एहसाॅ उतरता हैं कोई, खुद को कुछ यूं संभालते हैं हम, जैसे खिलौना संभालता हैं कोई, आइना देख कर तसल्ली हुई, अब भी मुझे जनता हैं कोई। ©Sahiba.

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