प्रेम में मुझे स्वीकार है इंतजार,उदासी,मौन और फिर | हिंदी शायरी

"प्रेम में मुझे स्वीकार है इंतजार,उदासी,मौन और फिर सुशांत बन जाना...बस स्वीकार नही है तो बस और बस तुम्हारा कभी ना मिल पाना...!! ©Badal"

 प्रेम में मुझे स्वीकार है इंतजार,उदासी,मौन और फिर सुशांत बन जाना...बस स्वीकार नही है तो बस और बस तुम्हारा कभी ना मिल पाना...!!

©Badal

प्रेम में मुझे स्वीकार है इंतजार,उदासी,मौन और फिर सुशांत बन जाना...बस स्वीकार नही है तो बस और बस तुम्हारा कभी ना मिल पाना...!! ©Badal

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