मुसाफिर ख्वाहिश उतनी ही पालो जितनी संभल जाएं अकेला | हिंदी Shayari

"मुसाफिर ख्वाहिश उतनी ही पालो जितनी संभल जाएं अकेला मुसाफ़िर ऐसे कैसे राहों में बदल जाएं। तन्हा चलिये अग़र तुमको तलब हैं मंज़िल की कारवाँ में तो अच्छे जाबाज़ भी फ़िसल जाएं। ©Ramjaane Solanki"

 मुसाफिर ख्वाहिश उतनी ही पालो जितनी संभल जाएं
अकेला मुसाफ़िर ऐसे कैसे राहों में बदल जाएं।
तन्हा चलिये अग़र तुमको तलब हैं मंज़िल की
कारवाँ में तो अच्छे जाबाज़ भी फ़िसल जाएं।

©Ramjaane Solanki

मुसाफिर ख्वाहिश उतनी ही पालो जितनी संभल जाएं अकेला मुसाफ़िर ऐसे कैसे राहों में बदल जाएं। तन्हा चलिये अग़र तुमको तलब हैं मंज़िल की कारवाँ में तो अच्छे जाबाज़ भी फ़िसल जाएं। ©Ramjaane Solanki

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#मुसाफ़िर

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