वो पत्थर का टुकडा जो आज माणिक बन बैठा है ।
जेवरो कि शान और आकर्षण मे जुडा है ।
हर टुकडा देख जल रहा और कहे
क्या किस्मत पाई है तुने !
पर इस किस्मत की किमत
उसने कहाँ–कहाँ और किस-किस से पिस कर पाई है ,
ये ब्यान तो शायद वो खुद भी ना कर पाएगा ।
@भास्कर
#अंतरव्यथा माणिक