White सब्र को आज अपनी कसौटी पर आजमाने का मन है,, प | हिंदी कविता Video

"White सब्र को आज अपनी कसौटी पर आजमाने का मन है,, पर हर एक कसौटी की सीमा होती हैं ऐसा भी सुना है लेकिन जब वक़्त, दर्द, मुस्कुराहट अकेलेपन में सिर्फ सब्र ही दे तो उसकी सीमा को कैसे पहचाना जाए आज दिल से आवाज निकली है, कि क्यों हर बात पर सब्र करना मैंने सीखा कभी क्यों अपने फैसलों के लिए मै नहीं लड़ी,, सभी ने क्यों एक शालीनता,भोलेपन और सीधेपन का ताज पहनाकर मुझे अपंग कर दिया क्यों मुझे उड़ने को आसमान तलाशने को झूठ का मुखौटा लगाना पड़ा,, काश मै भी सब्र के इम्तेहान में हार जाती, बस कुछ नजरों में बुरा बन जाती, तो आज उस सब्र को अपने लिए फंदा बना ना पाती, सब सब्र को सच्चा और बेसब्री को उतावलापन समझते हैं लेकिन मैंने जो सीखा, मुझे तो सब्र सिर्फ मेरे आंखों के सपने तोड़, बस मेरी आंखों में आंसुओ को जगह दे गया है, जबकि इन आंखों को बुलंदियों की तलाश थी, पर मेरे सब्र ने मुझे उन बुलंदियों को छूने ही नहीं, बल्कि दूर से देखने तक भी नहीं दिया अब भूलना भी चाहूं सब्र को तो बहुत कुछ छूट जाने का डर लगता है पर पाया भी क्या मैंने इस सब्र के सफर में सिर्फ खुद के लिए खामोशी और कुछ खुद को कोसते सवाल,, और उन कोसते सवालों की कैद में छटपटाते परिंदे की तरह मेरी जिंदगी ©Manik Manik "

White सब्र को आज अपनी कसौटी पर आजमाने का मन है,, पर हर एक कसौटी की सीमा होती हैं ऐसा भी सुना है लेकिन जब वक़्त, दर्द, मुस्कुराहट अकेलेपन में सिर्फ सब्र ही दे तो उसकी सीमा को कैसे पहचाना जाए आज दिल से आवाज निकली है, कि क्यों हर बात पर सब्र करना मैंने सीखा कभी क्यों अपने फैसलों के लिए मै नहीं लड़ी,, सभी ने क्यों एक शालीनता,भोलेपन और सीधेपन का ताज पहनाकर मुझे अपंग कर दिया क्यों मुझे उड़ने को आसमान तलाशने को झूठ का मुखौटा लगाना पड़ा,, काश मै भी सब्र के इम्तेहान में हार जाती, बस कुछ नजरों में बुरा बन जाती, तो आज उस सब्र को अपने लिए फंदा बना ना पाती, सब सब्र को सच्चा और बेसब्री को उतावलापन समझते हैं लेकिन मैंने जो सीखा, मुझे तो सब्र सिर्फ मेरे आंखों के सपने तोड़, बस मेरी आंखों में आंसुओ को जगह दे गया है, जबकि इन आंखों को बुलंदियों की तलाश थी, पर मेरे सब्र ने मुझे उन बुलंदियों को छूने ही नहीं, बल्कि दूर से देखने तक भी नहीं दिया अब भूलना भी चाहूं सब्र को तो बहुत कुछ छूट जाने का डर लगता है पर पाया भी क्या मैंने इस सब्र के सफर में सिर्फ खुद के लिए खामोशी और कुछ खुद को कोसते सवाल,, और उन कोसते सवालों की कैद में छटपटाते परिंदे की तरह मेरी जिंदगी ©Manik Manik

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