बैल पर सवार होकर , माँ शैलपुत्री आ गई l
शिव शंकर की प्यारी भवानी , दिल पर देखो वो छा गई ll
घी का सुंदर दीप जलाएँ , नारियल का भोग हम सब लगाएँ l
श्रद्धा भाव से शीश झुकाकर, माँ के सुंदर भजन को चलो गाएँ ll
मनोकामना को पूरी करती , ख़ुशियों से झोली को है भरती l
आशाएँ ये पूर्ण करती , ये रिद्धि- सिद्धी कि परवान है करती l
भाग्य सबका ये सँवारती , भक्ति की राह पे हमें चलाती l
ठिकाना हमको दर पर देती, विनती न किसी की वो ठुकराती ll
जय-जय माँ शैलपुत्री , तू नारायणी तू कल्याणी l
नवरात्रि का शुभारंभ करती , तू महारानी इस जग की है ll
©Shivkumar
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