मुखौटे हम सभी के कुछ राज गहरे है सभी के चेहरों पे | हिंदी कविता

"मुखौटे हम सभी के कुछ राज गहरे है सभी के चेहरों पे तो मुखौटे है हसी के चेहरे पे छुपा रहे दर्द सभी गहरे है सभी के चेहरों पे तो मुखौटे है कोई हाल ए दिल बता रहा कोई इसे छुपा रहा ना जाने कौन किस परिस्थिति में अपनी फसल उगा रहा मगर बाहर आकर सब हस्ते है क्यूंकि सभी के चेहरों पे तो मुखौटे है मन में चल रही उथल पुथल मगर सोशल मीडिया में बने हम शीतल जल कोई क्या कहेगा कोई क्या सोचेगा अरे! उसका भी तो ध्यान रखना है पतानी वरना वो क्या कहेगा? इन्हीं सवालों के साथ ही तो हम सब सोते है जागते ही एक नकली मुस्कान ओढ़ते है। क्यूं? क्यूंकि हम सभी के चेहरों पे मुखौटे है। शायद ये चेहरे नहीं ये ही मुखौटे है।"

 मुखौटे
हम सभी के कुछ राज गहरे है
सभी के चेहरों पे तो मुखौटे है
हसी के चेहरे पे छुपा रहे दर्द सभी गहरे है
सभी के चेहरों पे तो मुखौटे है
कोई हाल ए दिल बता रहा कोई इसे छुपा रहा
ना जाने कौन किस परिस्थिति में अपनी फसल उगा रहा
मगर बाहर आकर सब हस्ते है 
क्यूंकि सभी के चेहरों पे तो मुखौटे है
मन में चल रही उथल पुथल
मगर सोशल मीडिया में बने हम शीतल जल
कोई क्या कहेगा कोई क्या सोचेगा
अरे! उसका भी तो ध्यान रखना है
पतानी वरना वो क्या कहेगा?
इन्हीं सवालों के साथ ही तो हम सब सोते है
जागते ही एक नकली मुस्कान ओढ़ते है।
क्यूं?
क्यूंकि हम सभी के चेहरों पे मुखौटे है।
शायद ये चेहरे नहीं ये ही मुखौटे है।

मुखौटे हम सभी के कुछ राज गहरे है सभी के चेहरों पे तो मुखौटे है हसी के चेहरे पे छुपा रहे दर्द सभी गहरे है सभी के चेहरों पे तो मुखौटे है कोई हाल ए दिल बता रहा कोई इसे छुपा रहा ना जाने कौन किस परिस्थिति में अपनी फसल उगा रहा मगर बाहर आकर सब हस्ते है क्यूंकि सभी के चेहरों पे तो मुखौटे है मन में चल रही उथल पुथल मगर सोशल मीडिया में बने हम शीतल जल कोई क्या कहेगा कोई क्या सोचेगा अरे! उसका भी तो ध्यान रखना है पतानी वरना वो क्या कहेगा? इन्हीं सवालों के साथ ही तो हम सब सोते है जागते ही एक नकली मुस्कान ओढ़ते है। क्यूं? क्यूंकि हम सभी के चेहरों पे मुखौटे है। शायद ये चेहरे नहीं ये ही मुखौटे है।

मुखौटे
#lifeinquarantine
#Truth

People who shared love close

More like this

Trending Topic