काश वो हाथ आज फिर सर पे होता, गीली मट्टी पड़ी है, अ | हिंदी Shayari

"काश वो हाथ आज फिर सर पे होता, गीली मट्टी पड़ी है, अकेली चाक पे ।। ©️✍️सतिन्दर ©कुछ लम्हें ज़िन्दगी के"

 काश वो हाथ आज फिर सर पे होता,
गीली मट्टी पड़ी है, अकेली चाक पे ।।
©️✍️सतिन्दर

©कुछ लम्हें ज़िन्दगी के

काश वो हाथ आज फिर सर पे होता, गीली मट्टी पड़ी है, अकेली चाक पे ।। ©️✍️सतिन्दर ©कुछ लम्हें ज़िन्दगी के

काश वो हाथ आज फिर सर पे होता,
गीली मट्टी पड़ी है, अकेली चाक पे ।।
©️✍️सतिन्दर


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