ना जाने क्यूँ हो जाता हूँ मायूस सा... ये गाँव से | हिंदी शायरी

"ना जाने क्यूँ हो जाता हूँ मायूस सा... ये गाँव से शहर आके मैं जैसे हार जाता हूँ... ©kapil rawat"

 ना जाने क्यूँ हो जाता हूँ मायूस सा...

ये गाँव से शहर आके मैं जैसे हार जाता हूँ...

©kapil rawat

ना जाने क्यूँ हो जाता हूँ मायूस सा... ये गाँव से शहर आके मैं जैसे हार जाता हूँ... ©kapil rawat

#gaw

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