खुद को, खुद की तस्वीरों को बदलता रहा हूं मैं, वक् | हिंदी Sad

"खुद को, खुद की तस्वीरों को बदलता रहा हूं मैं, वक्त और मौसम भी दौड़ में शामिल है हंसना चाहूं तो रुला देता है, दौड़ना चाहूं तो गिरा देता है, बात यहीं ,खत्म नहीं, मंजिल पा लूं, पर पा ना सकूं वो मंजिल दूर बना देता है। ©arvind bhanwra ambala. India"

 खुद को, खुद की तस्वीरों को बदलता रहा हूं मैं, 
वक्त और मौसम भी दौड़ में शामिल है 
हंसना चाहूं तो रुला देता है, 
दौड़ना चाहूं तो गिरा देता है,
बात यहीं ,खत्म नहीं, 
मंजिल पा लूं, पर पा ना सकूं 
वो मंजिल दूर बना देता है।

©arvind bhanwra ambala. India

खुद को, खुद की तस्वीरों को बदलता रहा हूं मैं, वक्त और मौसम भी दौड़ में शामिल है हंसना चाहूं तो रुला देता है, दौड़ना चाहूं तो गिरा देता है, बात यहीं ,खत्म नहीं, मंजिल पा लूं, पर पा ना सकूं वो मंजिल दूर बना देता है। ©arvind bhanwra ambala. India

वक्त ओर मौसम।

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