बस एक खता की मुसलसल सज़ा अभी तक है। लेकिन जनाब.. | हिंदी Shayari

"बस एक खता की मुसलसल सज़ा अभी तक है। लेकिन जनाब.... मेरे खिलाफ़ मेरा आईना अभी तक है।। ©Arti Raghav"

 बस 
एक खता की मुसलसल 
सज़ा अभी तक है।
लेकिन जनाब....
मेरे खिलाफ़ मेरा आईना 
अभी तक है।।

©Arti Raghav

बस एक खता की मुसलसल सज़ा अभी तक है। लेकिन जनाब.... मेरे खिलाफ़ मेरा आईना अभी तक है।। ©Arti Raghav

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