तुम अपना चेहरा जा कर धो लो ज़म-ज़म या गंगा के आब स | हिंदी शायरी

"तुम अपना चेहरा जा कर धो लो ज़म-ज़म या गंगा के आब से, मेरी झलक साफ नज़र आ रही है तुम्हारे चेहरे से। - काज़ी मुईज़ हाशमी"

 तुम अपना चेहरा जा कर धो लो ज़म-ज़म या गंगा के आब से,
मेरी झलक साफ नज़र आ रही है तुम्हारे चेहरे से।


- काज़ी मुईज़ हाशमी

तुम अपना चेहरा जा कर धो लो ज़म-ज़म या गंगा के आब से, मेरी झलक साफ नज़र आ रही है तुम्हारे चेहरे से। - काज़ी मुईज़ हाशमी

तुम अपना चेहरा जा कर धो लो ज़म-ज़म या गंगा के आब से,
मेरी झलक साफ नज़र आ रही है तुम्हारे चेहरे से।


- काज़ी मुईज़ हाशमी


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