हसरतों को चाँद की खूँटी पे टांग आये हैं, इस बार खु
"हसरतों को चाँद की खूँटी पे टांग आये हैं, इस बार खुदा से कुछ तूने पूछा है जुस्तजू कया है
दिल ही जाने कि आरजू कया है ।
तेरे होने से मेरा होना है
मैं नहीं जानता कि तू कया है ।।
राम कुमार"
हसरतों को चाँद की खूँटी पे टांग आये हैं, इस बार खुदा से कुछ तूने पूछा है जुस्तजू कया है
दिल ही जाने कि आरजू कया है ।
तेरे होने से मेरा होना है
मैं नहीं जानता कि तू कया है ।।
राम कुमार