जब भी पाप है बढ़ता व्याप्त व्यभिचार होता है, अहर्न

"जब भी पाप है बढ़ता व्याप्त व्यभिचार होता है, अहर्निश आबरू लुटती अनंत अनाचार होता है, हिंसक भावना बढ़कर चरमोत्कर्ष पार होता है- फरसा हाथ लेकर तब परशुरामावतार होता है !! ©जयदेव मिश्र"

 जब भी पाप है बढ़ता व्याप्त व्यभिचार होता है,
अहर्निश आबरू लुटती अनंत अनाचार होता है,
हिंसक भावना बढ़कर चरमोत्कर्ष पार होता है-
फरसा हाथ लेकर तब परशुरामावतार होता है !!
©जयदेव मिश्र

जब भी पाप है बढ़ता व्याप्त व्यभिचार होता है, अहर्निश आबरू लुटती अनंत अनाचार होता है, हिंसक भावना बढ़कर चरमोत्कर्ष पार होता है- फरसा हाथ लेकर तब परशुरामावतार होता है !! ©जयदेव मिश्र

परशुराम जयंती की शुभ कामनाएँ

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