तमाम कोशिशों के बावजूद
मैं तुम्हारा कभी हो ना पाया
फ़लक पे सितारे की तरह रही तुम
मैं ज़मीन पे तुम्हें कभी ला ना पाया
मक़ाम फ़रिश्ते का हासिल हुआ तुम्हें
मैं इंसान भी ठीक से कभी बन ना पाया
खर्च कर दिए हर अल्फ़ाज़ मगर
प्रेम के दो लफ्ज़ भी कभी कह ना पाया
ज़िक्र तुम्हारा ही हुआ करता है मयखानों और इबादतगाहों में
मैं चाह के भी तुम्हें कभी भुला ना पाया
©agypsysoul
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