ख़्वाब कई टूट कर बिखरे, जिंदगी बनी तमाशा है, आंखे | हिंदी Poetry Video

"ख़्वाब कई टूट कर बिखरे, जिंदगी बनी तमाशा है, आंखे है नम, लबों पर है खामोशी, घिरा है मन निराशा में, छाया है चारों और अंधेरा है, यूं तो होता है रोज सवेरा, मगर दुख तो रातों में जारी है, दर्द भी लगता अब भरी है, जिसकी भी आस थी, टूट कर वो बिखर गई, आपने भी न रहे अब अपने, जब छूट गया हाथों से हाथ, ऐसे रूठ गए वो मुझसे, कभी में देखे वो पिछे मुड़के, अब तो केवल मैं और तनहाई है, मन के भीतर बसती बस लाचारी है। ©Heer "

ख़्वाब कई टूट कर बिखरे, जिंदगी बनी तमाशा है, आंखे है नम, लबों पर है खामोशी, घिरा है मन निराशा में, छाया है चारों और अंधेरा है, यूं तो होता है रोज सवेरा, मगर दुख तो रातों में जारी है, दर्द भी लगता अब भरी है, जिसकी भी आस थी, टूट कर वो बिखर गई, आपने भी न रहे अब अपने, जब छूट गया हाथों से हाथ, ऐसे रूठ गए वो मुझसे, कभी में देखे वो पिछे मुड़के, अब तो केवल मैं और तनहाई है, मन के भीतर बसती बस लाचारी है। ©Heer

#लाचारी_जिंदगी

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