तेरी फ़ुरक़त में तेरे ग़म गुसारों को न नींद आई। ज़ | हिंदी Shayari Vid

तेरी फ़ुरक़त में तेरे ग़म गुसारों को न नींद आई।
ज़माना सो गया पर ग़म के मारो को न नींद आई।।

हमारी आह, का नारा फलक से जाके टकराया।
न सोए चांद औ सूरज सितारों को न नींद आई।।

किनारे बैठे थे जाकर भरा अश्कों का था गागर।
समंदर रात भर तड़पा किनारों को नींद आई।।

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