यूं निगाहें मिली उनकी हमसे ,की कत्लेआम कर गई, मश्ह | हिंदी शायरी

"यूं निगाहें मिली उनकी हमसे ,की कत्लेआम कर गई, मश्हूर थे हम अपने एकतरफा इश्क़ के लिए, वो देख कर मुस्कुराई और शरेआम कर गई।। हम तो शरीफ़ थे अपनो से अपनी मोहब्बत छुपा के, पुकार कर नाम मेरा अपनी लबों से, भरे महफ़िल में मुझे बदनाम कर गई।। ©Bipin Kuma"

 यूं निगाहें मिली उनकी हमसे ,की कत्लेआम कर गई,
मश्हूर थे हम अपने एकतरफा इश्क़ के लिए,
वो देख कर मुस्कुराई  और  शरेआम कर गई।।
हम तो शरीफ़ थे अपनो से अपनी मोहब्बत छुपा के,
पुकार कर नाम मेरा अपनी लबों से,
भरे महफ़िल में मुझे बदनाम कर गई।।

©Bipin Kuma

यूं निगाहें मिली उनकी हमसे ,की कत्लेआम कर गई, मश्हूर थे हम अपने एकतरफा इश्क़ के लिए, वो देख कर मुस्कुराई और शरेआम कर गई।। हम तो शरीफ़ थे अपनो से अपनी मोहब्बत छुपा के, पुकार कर नाम मेरा अपनी लबों से, भरे महफ़िल में मुझे बदनाम कर गई।। ©Bipin Kuma

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