नफ़रत की बयार बही जा रही है
कोई कहे नही ये बहाई जा रही है
तेरी चुप वाह है और भी चुप वाह
बोलो यदि संदेह जताई जा रही है
तुम ना भी बोलो मैं तो बोल दूंगा
तुम भी कहो जो कहने जा रहे हो
देर हो तो उजड़े गा चमन दोनों ही
लगता है देर करोगे जैसे भय कोई
ज़्यादा परवाह तो ठीक ही है मगर
लापरवाही बिल्कुल भी ठीक नही
©अदनासा-
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