चाहत बस चर्चा-ए-आम की थी, हमने दुनिया से रुखसत क्य
"चाहत बस चर्चा-ए-आम की थी,
हमने दुनिया से रुखसत क्या ली
पल भर में फ़ैज़-ए-आम बन गए।
कतरा के गुजरते थे जो हमसे
हमारे जाने के बाद
हमारे तलबगार बन गए
~कीर्ति"
चाहत बस चर्चा-ए-आम की थी,
हमने दुनिया से रुखसत क्या ली
पल भर में फ़ैज़-ए-आम बन गए।
कतरा के गुजरते थे जो हमसे
हमारे जाने के बाद
हमारे तलबगार बन गए
~कीर्ति