दिल सा वहशी कभी काबू में न आया यारो हार कर बैठ गए | हिंदी Shayari Vide

"दिल सा वहशी कभी काबू में न आया यारो हार कर बैठ गए जाल बिछाने वाले जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिसमें बंदों को गिना करते हैं, तौला नहीं करते आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो  ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो ©The Gyann "

दिल सा वहशी कभी काबू में न आया यारो हार कर बैठ गए जाल बिछाने वाले जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिसमें बंदों को गिना करते हैं, तौला नहीं करते आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो  ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो ©The Gyann

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