लफ़्ज़ ख़ामोश रहेंगे मगर क़लम शोर मचाएगी! अल्फ़ाज़ | हिंदी Shayari

"लफ़्ज़ ख़ामोश रहेंगे मगर क़लम शोर मचाएगी! अल्फ़ाज़ कह न सके जो इक नज़्म कह जाएगी! ओम"

 लफ़्ज़ ख़ामोश रहेंगे मगर क़लम शोर मचाएगी!
अल्फ़ाज़ कह न सके जो इक नज़्म कह जाएगी!
                           
                                        ओम

लफ़्ज़ ख़ामोश रहेंगे मगर क़लम शोर मचाएगी! अल्फ़ाज़ कह न सके जो इक नज़्म कह जाएगी! ओम

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