चल पड़े हैं अकेले ही मंज़िल की जानिब देखते ह | हिंदी शायरी

"चल पड़े हैं अकेले ही मंज़िल की जानिब देखते हैं रास्ते कब तक उलझा कर रखेंगे हमें ©Deepak Kumar 'Deep'"

 चल  पड़े   हैं 
अकेले  ही मंज़िल की जानिब 
देखते हैं रास्ते कब तक 
उलझा कर रखेंगे हमें

©Deepak Kumar 'Deep'

चल पड़े हैं अकेले ही मंज़िल की जानिब देखते हैं रास्ते कब तक उलझा कर रखेंगे हमें ©Deepak Kumar 'Deep'

#manzil

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