ढूंढने से भी नही मिलते अब वो पल जब बिन बुलाए मेहमा | हिंदी Shayari

"ढूंढने से भी नही मिलते अब वो पल जब बिन बुलाए मेहमान आया करते थे, मसरूफ़ इस कदर है दुनिया की अपने भी मिलने आएं तो मेहमान से लगते हैं । - गौरव सिन्हा"

 ढूंढने से भी नही मिलते अब वो पल जब बिन बुलाए मेहमान आया करते थे,
मसरूफ़ इस कदर है दुनिया की अपने भी मिलने आएं तो मेहमान से लगते हैं ।
- गौरव सिन्हा

ढूंढने से भी नही मिलते अब वो पल जब बिन बुलाए मेहमान आया करते थे, मसरूफ़ इस कदर है दुनिया की अपने भी मिलने आएं तो मेहमान से लगते हैं । - गौरव सिन्हा

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