हम रोज़ गमों की आग में जलते रहते हैं, कुछ ख्वाब ट | हिंदी Poetry

"हम रोज़ गमों की आग में जलते रहते हैं, कुछ ख्वाब टूटकर रोज़ बिखरते रहते है !"

 हम रोज़ गमों की 
आग में जलते रहते हैं,

कुछ ख्वाब टूटकर  
रोज़ बिखरते रहते है !

हम रोज़ गमों की आग में जलते रहते हैं, कुछ ख्वाब टूटकर रोज़ बिखरते रहते है !

#ripple, #Nojoto.

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