जब मैंने उसको काले लिबास में देखा था, उसको मैंन | हिंदी Poetry Video

"जब मैंने उसको काले लिबास में देखा था, उसको मैंने खुद का काला टीका समझा था| वो कहता था तुमपे लाल रंग खूब जच़ता है, तो मैंने भी उस दिन उसका पंसदीदा रंग ओढ़ा था| उसे मैं खुले हुए केशों में अच्छी लगती थी, तो मैंने अपने बंधे केशों को उसके लिए खुला रखा था| उसे मेरे चेहरे पर सिर्फ मुस्कुराहट पसंद थी, तो मैंने भी अपने आंसुओं को काजल से छिपाया था| ©Shilpa Singh "

जब मैंने उसको काले लिबास में देखा था, उसको मैंने खुद का काला टीका समझा था| वो कहता था तुमपे लाल रंग खूब जच़ता है, तो मैंने भी उस दिन उसका पंसदीदा रंग ओढ़ा था| उसे मैं खुले हुए केशों में अच्छी लगती थी, तो मैंने अपने बंधे केशों को उसके लिए खुला रखा था| उसे मेरे चेहरे पर सिर्फ मुस्कुराहट पसंद थी, तो मैंने भी अपने आंसुओं को काजल से छिपाया था| ©Shilpa Singh

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