दबाकर तकब्बुर को अपने , फन को संवारा है हमने। खुद | हिंदी शायरी

"दबाकर तकब्बुर को अपने , फन को संवारा है हमने। खुद ही मैं खुद को ढूंढा , फिर खुद को पुकारा है हमने। क्या हुआ क्या नहीं यह तो , जानता है जमाना लेकिन। वाकिफ नहीं है कोई की , क्या-क्या किया है हमने।। ।। विष्णुपूत्र ।। ©vishnuputra"

 दबाकर तकब्बुर को अपने ,
फन को संवारा है हमने।
खुद ही मैं खुद को ढूंढा ,
फिर खुद को पुकारा है हमने।
क्या हुआ क्या नहीं यह तो ,
जानता है जमाना लेकिन।
वाकिफ नहीं है कोई  की ,
क्या-क्या किया है हमने।।

।। विष्णुपूत्र ।।

©vishnuputra

दबाकर तकब्बुर को अपने , फन को संवारा है हमने। खुद ही मैं खुद को ढूंढा , फिर खुद को पुकारा है हमने। क्या हुआ क्या नहीं यह तो , जानता है जमाना लेकिन। वाकिफ नहीं है कोई की , क्या-क्या किया है हमने।। ।। विष्णुपूत्र ।। ©vishnuputra

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