हम पंख चिड़ियों के नहीं, हौसलों के रखते हैं तुम चा | हिंदी शायरी

"हम पंख चिड़ियों के नहीं, हौसलों के रखते हैं तुम चाह कर भी, काट नहीं पाओगे | जनाब, हम उतना ही ऊपर उठते जाऐंगे , जितना तुम नीचे गिराओगे || {कमाल अहमद-9336804430} ©Kamal Ahmad"

 हम पंख चिड़ियों के नहीं, हौसलों के रखते हैं
तुम चाह कर भी, काट नहीं पाओगे | 
जनाब, हम उतना ही ऊपर उठते जाऐंगे , 
जितना तुम नीचे गिराओगे ||
{कमाल अहमद-9336804430}

©Kamal Ahmad

हम पंख चिड़ियों के नहीं, हौसलों के रखते हैं तुम चाह कर भी, काट नहीं पाओगे | जनाब, हम उतना ही ऊपर उठते जाऐंगे , जितना तुम नीचे गिराओगे || {कमाल अहमद-9336804430} ©Kamal Ahmad

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