22--22--22--22--22--22--22--2 देखें तो हर मंजर अप | हिंदी शायरी

"22--22--22--22--22--22--22--2 देखें तो हर मंजर अपने सर पर अच्छा लगता है,, ढो सकें तो ढोया जाए क्या अक्सर अच्छा लगता है//1 22--22--22--22--22--22--22--2 औक़ात रही चिराग जितनी ज्वाला की पर रोशन,, समझें हम ही से इस दुनिया का सर अच्छा लगता है//2 22--22--22--22--22--22--22--2 आख़िर मुकाम पाया जिसकी ज़द में इसकी शाॅं में श्री ,, झुका हुआ सर बुरा रहा तो भी सर अच्छा लगता है//3 श्रीधर श्री उज्जैन मध्यप्रदेश ©Shree Shayar"

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देखें तो हर मंजर अपने  सर पर अच्छा लगता है,,

ढो सकें तो ढोया जाए क्या अक्सर अच्छा लगता है//1

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औक़ात रही चिराग जितनी ज्वाला की पर रोशन,,

समझें हम ही से इस दुनिया का सर अच्छा लगता है//2

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आख़िर मुकाम पाया जिसकी ज़द में इसकी शाॅं में श्री ,,

झुका हुआ सर बुरा रहा तो भी सर अच्छा लगता है//3

 श्रीधर श्री
उज्जैन मध्यप्रदेश

©Shree Shayar

22--22--22--22--22--22--22--2 देखें तो हर मंजर अपने सर पर अच्छा लगता है,, ढो सकें तो ढोया जाए क्या अक्सर अच्छा लगता है//1 22--22--22--22--22--22--22--2 औक़ात रही चिराग जितनी ज्वाला की पर रोशन,, समझें हम ही से इस दुनिया का सर अच्छा लगता है//2 22--22--22--22--22--22--22--2 आख़िर मुकाम पाया जिसकी ज़द में इसकी शाॅं में श्री ,, झुका हुआ सर बुरा रहा तो भी सर अच्छा लगता है//3 श्रीधर श्री उज्जैन मध्यप्रदेश ©Shree Shayar

श्री

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