22--22--22--22--22--22--22--2
देखें तो हर मंजर अपने सर पर अच्छा लगता है,,
ढो सकें तो ढोया जाए क्या अक्सर अच्छा लगता है//1
22--22--22--22--22--22--22--2
औक़ात रही चिराग जितनी ज्वाला की पर रोशन,,
समझें हम ही से इस दुनिया का सर अच्छा लगता है//2
22--22--22--22--22--22--22--2
आख़िर मुकाम पाया जिसकी ज़द में इसकी शाॅं में श्री ,,
झुका हुआ सर बुरा रहा तो भी सर अच्छा लगता है//3
श्रीधर श्री
उज्जैन मध्यप्रदेश
©Shree Shayar
श्री
#HappyRoseDay