Love छुप-छुप कर रोता रहता था ,बाते थोडी कम करता था | हिंदी कविता

"Love छुप-छुप कर रोता रहता था ,बाते थोडी कम करता था । हो जाती जब साँसे भारी,तो मुस्काया हम करता था । लेकिन नाम लवों पे उसका , कभी न देखो मैं लेता था- लेकिन ढ़लती रातों में मैं , आँखें अपनी नम करता था ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 Love छुप-छुप कर रोता रहता था ,बाते थोडी कम करता था ।
हो जाती  जब साँसे भारी,तो मुस्काया हम करता था ।
लेकिन नाम लवों पे उसका , कभी न देखो मैं लेता था-
लेकिन ढ़लती रातों में मैं , आँखें अपनी नम करता था ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

Love छुप-छुप कर रोता रहता था ,बाते थोडी कम करता था । हो जाती जब साँसे भारी,तो मुस्काया हम करता था । लेकिन नाम लवों पे उसका , कभी न देखो मैं लेता था- लेकिन ढ़लती रातों में मैं , आँखें अपनी नम करता था ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

छुप-छुप कर रोता रहता था ,बाते थोडी कम करता था ।
हो जाती जब साँसे भारी,तो मुस्काया हम करता था ।
लेकिन नाम लवों पे उसका , कभी न देखो मैं लेता था-
लेकिन ढ़लती रातों में मैं , आँखें अपनी नम करता था ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

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