दोस्त, दिन बीत रहा, अब शाम सुहानी आ गई, अरविंद ढूँ | हिंदी Poetry Vide

"दोस्त, दिन बीत रहा, अब शाम सुहानी आ गई, अरविंद ढूँढे विसाल-ए-यार को, तू क्यूँ न आई । ©Arvind Akv "

दोस्त, दिन बीत रहा, अब शाम सुहानी आ गई, अरविंद ढूँढे विसाल-ए-यार को, तू क्यूँ न आई । ©Arvind Akv

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