कि, वक्त बेवक्त अब हम तुम्हें याद आएंगे,
बारिश के बाद अब चांद कभी कभी आएंगे
कि, ये ख़्याल, खौफ़, खफा हमसे ही हैं न
अब किस बहाने छत पे गीले कपड़े सूखाने आएंगे
कि, बंद नज़रों का ये शोर कैसा हैं प्रेम,
आषाढ़ के बाद बारिश में अब नए मिट्टी आएंगे!
__प्रेम__निराला__
©Prem Nirala
कि, वक्त बेवक्त अब हम तुम्हें याद आएंगे,
बारिश के बाद अब चांद कभी कभी आएंगे
कि, ये ख़्याल, खौफ़, खफा हमसे ही हैं न
अब किस बहाने छत पे गीले कपड़े सूखाने आएंगे
कि, बंद नज़रों का ये शोर कैसा हैं प्रेम,
आषाढ़ के बाद बारिश में अब नए मिट्टी आएंगे!