खुद पर ही खुद के फैसले , अब भारी हो गए
कल तलक था सब कुछ, अब भिखारी सा हो गए
बदल गया है दुनिया का चलन कितना यारो,
जो शिकार कभी खुद से करते थे कभी, अब वो ही शिकारी हो गए
क्या याद करना अब उन गुज़रे हुए लम्हों को,
कल तक तो हम ही हम थे, अब अनाड़ी सा हो गए
यारो न आया आज तक भी लगाना दाव हमको,
मगर इधर तो सारे लोग ही, अब जुआरी सा हो गए
न आता था कभी जिनको जुबां चलाना भी यारो,
कमाल है कि हर फन के वो, अब खिलाड़ी सा हो गए
वक़्त बदल देता है लोगों की किस्मत को ' मिश्र ' ,
जो दिखते थे कल तक जमूरे, अब मदारी सा हो गए
©Shivkumar
#Preying
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कल #तलक था सब कुछ, अब #भिखारी सा हो गए
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जो शिकार कभी खुद से करते थे कभी, अब वो ही शिकारी हो गए