White हर रोज़ एक नई कहानी बनती गई और ज़िंदगी यूंही चलती गई,
वक्त निकलता गया, सुबह शाम यूंही ढलती गई,
कई फूल मुरझाते गए, और नई कली खिलती गई,
किसी को पल भर का चैन नहीं तो किसी को मनचाही खुशी मिलती गई,
कभी खुश होकर, कभी ग़म में हर मोड़ से गुज़रती गई,
लोग आते-जाते रहे, मगर ज़िंदगी यूंही चलती गई।
©Rakhie.. "दिल की आवाज़"
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