गांव से आया एक लड़का, शहर में अपनी पहचान बनाने को | हिंदी Video

"गांव से आया एक लड़का, शहर में अपनी पहचान बनाने को, दिल में थे अरमान बड़े सपने नए सजाने को, कुछ नया करके दिखाने को सबके दिल में जगह बनाने को, आसमान छूने का उसका मन था, इसलिए चांद पर उसका छोटा सा घर था, शुरुआत कहां से की थी उसने, और कहां वो पहुंच गया, मिट्टी से उगता सूरज चारों दिशाओं में फैल गया, गर्मी सूरज की इतनी ज्यादा थी सब लगे थे जलने उससे, तरक्की उसकी देखकर सब हाथ लगे थे मलने, घबराहट सबके दिल में हो रही थी क्योंकि वाह वाह उसकी चारों दिशाओं में हो रही थी, एक छोटे गांव का लड़का तरक्की कैसे कर सकता है, इतनी जल्दी हम सबको पीछे कैसे कर सकता है, सबके दिल में गुस्सा था सबके दिल में आग थी, सुशांत सिंह को मिटाना है सबकी यही आस थी, एक दिन ऐसा शोर आया न्यूज़ पर कुछ और आया, 14 जून 2020 को मैं तो लड़खड़ा गया सुशांत सिंह की मौत की खबर सुनकर दिल मेरा घबरा गया, एक पल तो एहसास नहीं हुआ मुझे ऐसा कैसे हो गया, सबको हंसाने वाला लड़का एकदम से कैसे चुप हो गया, फिर सुनने में आया हमको डिप्रेशन का वह शिकार था, जिसने दिया डिप्रेशन वह उसका ही प्यार था, जाल ऐसा बुना मौत का किसी पर ना हुआ शक था, लेकिन सुशांत सिंह की मौत का उन सबको भी तो थोड़ा डर था, मैं तो आज भी कहता हूं वो सुसाइड नहीं मर्डर था। ©Pradeep Kumar "

गांव से आया एक लड़का, शहर में अपनी पहचान बनाने को, दिल में थे अरमान बड़े सपने नए सजाने को, कुछ नया करके दिखाने को सबके दिल में जगह बनाने को, आसमान छूने का उसका मन था, इसलिए चांद पर उसका छोटा सा घर था, शुरुआत कहां से की थी उसने, और कहां वो पहुंच गया, मिट्टी से उगता सूरज चारों दिशाओं में फैल गया, गर्मी सूरज की इतनी ज्यादा थी सब लगे थे जलने उससे, तरक्की उसकी देखकर सब हाथ लगे थे मलने, घबराहट सबके दिल में हो रही थी क्योंकि वाह वाह उसकी चारों दिशाओं में हो रही थी, एक छोटे गांव का लड़का तरक्की कैसे कर सकता है, इतनी जल्दी हम सबको पीछे कैसे कर सकता है, सबके दिल में गुस्सा था सबके दिल में आग थी, सुशांत सिंह को मिटाना है सबकी यही आस थी, एक दिन ऐसा शोर आया न्यूज़ पर कुछ और आया, 14 जून 2020 को मैं तो लड़खड़ा गया सुशांत सिंह की मौत की खबर सुनकर दिल मेरा घबरा गया, एक पल तो एहसास नहीं हुआ मुझे ऐसा कैसे हो गया, सबको हंसाने वाला लड़का एकदम से कैसे चुप हो गया, फिर सुनने में आया हमको डिप्रेशन का वह शिकार था, जिसने दिया डिप्रेशन वह उसका ही प्यार था, जाल ऐसा बुना मौत का किसी पर ना हुआ शक था, लेकिन सुशांत सिंह की मौत का उन सबको भी तो थोड़ा डर था, मैं तो आज भी कहता हूं वो सुसाइड नहीं मर्डर था। ©Pradeep Kumar

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