"नारी शक्ति"
दैत्य-दानव सब चले गए महादैत्यों (मानव) की योनि आयी हैं,
कब जन्म लेंगे भगवन् धरती पर विपदा आयी हैं।
हर तरफ हो रहा दुष्कर्म यहां अपराध हो रहा गली-गली,
कहां चला गया वो कान्हा, द्रौपदी चीख रही गली-गली।
मां-बहने-बेटी चीख रही, मथुरा के कान्हा आ जाओ,
चीर-हरण हो रहा गली-गली, द्रौपदी की लाज बचा जाओ।
ना मान रही, मर्यादा रही, ना प्रभु राम का मान रहा,
माता सीता पल-पल बिलखती रही,ना वीर पुत्र हनुमान रहा।
मां गंगा लज्जित हुई क्यों भीष्म पितामह को जन्म दिया,
पुत्र-वधू निर्वस्त्र की गई सभा में भीष्म पितामह क्यों मूक-बधिर रहा।
नारी अब तो शस्त्र उठा लो,रणचंडी बन जाओ तुम,
शक्ति का एक अंश हो तुम महाकाली बन जाओ तुम।
बहुत हुआ अबला बनना अब ना श्याम बचाने आयेंगे,
एक बार शक्ति का रूप दिखा दो तुम दुष्कर्मी घबरा जायेंगे।
दुष्कर्म की सोचने से पहले उनकी रोम-रोम कांप जायेगी,
ये डर होगा अगर मानव में तो फिर कोई और निर्भया न बन पायेगी।
मां-बहनें-बेटी खुश होंगी, मां भारती की लाज बच जायेगी,
ना श्याम को आना होगा,ना मां गंगा लज्जित हो पायेगी।।
©Nitesh Parashar
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