#5LinePoetry मंज़िल की फ़िक्र अब किसको यहाँ, जब | हिंदी Shayari

"#5LinePoetry मंज़िल की फ़िक्र अब किसको यहाँ, जब ख़्वाबों का कारवाँ मेरे साथ चला, गम का साया अब दिखता कहाँ, जब तु उम्मीद बन कर मेरे साथ चला। ©Ritika Roy"

 #5LinePoetry मंज़िल की फ़िक्र अब किसको यहाँ,  
जब ख़्वाबों का कारवाँ मेरे साथ चला, 
गम का साया अब दिखता कहाँ, 
जब तु उम्मीद बन कर 
मेरे साथ चला।

©Ritika Roy

#5LinePoetry मंज़िल की फ़िक्र अब किसको यहाँ, जब ख़्वाबों का कारवाँ मेरे साथ चला, गम का साया अब दिखता कहाँ, जब तु उम्मीद बन कर मेरे साथ चला। ©Ritika Roy

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