उम्मीदों के दामन लेकर जी रहा हिंदुस्तान हैं ..! | हिंदी शायरी

"उम्मीदों के दामन लेकर जी रहा हिंदुस्तान हैं ..! ये दो पल की आंधी भला हमें क्या डराए , तूफानों सा बंद घरों में लड़ता ये मेरा सारा जहां हैं .. भला पतझड़ से कहां पेड़ डरते हैं ! उनपर बहार लेके आता 'वसंत हैं .. हर मुसीबत पार की अबतक हमने , लड़ते रहो इसका भी एक दिन 'अंत हैं .. बंद हो गए मंदिर-ए-मशजीद-ओ- कायनात के ! आखिर पता भी चला खुदा इंसान और भगवान इंसानिय में ही हैं उम्मीदों के दामन लेकर जी रहा हिंदुस्तान हैं ।। @kavyajit#poetajit sonawane"

 उम्मीदों के दामन लेकर 
जी रहा हिंदुस्तान हैं ..!

ये दो पल की आंधी
 भला हमें क्या डराए  , 
तूफानों सा बंद घरों में लड़ता
ये मेरा सारा जहां हैं  ..

भला पतझड़ से कहां 
पेड़ डरते हैं !
उनपर बहार लेके आता 'वसंत हैं ..
हर मुसीबत पार की अबतक हमने ,
लड़ते रहो इसका भी एक दिन 'अंत हैं ..

बंद हो गए 
मंदिर-ए-मशजीद-ओ- कायनात के ! 
आखिर पता भी चला 
खुदा इंसान और भगवान इंसानिय में ही  हैं 

उम्मीदों के दामन लेकर
जी रहा हिंदुस्तान हैं ।। 
@kavyajit#poetajit sonawane

उम्मीदों के दामन लेकर जी रहा हिंदुस्तान हैं ..! ये दो पल की आंधी भला हमें क्या डराए , तूफानों सा बंद घरों में लड़ता ये मेरा सारा जहां हैं .. भला पतझड़ से कहां पेड़ डरते हैं ! उनपर बहार लेके आता 'वसंत हैं .. हर मुसीबत पार की अबतक हमने , लड़ते रहो इसका भी एक दिन 'अंत हैं .. बंद हो गए मंदिर-ए-मशजीद-ओ- कायनात के ! आखिर पता भी चला खुदा इंसान और भगवान इंसानिय में ही हैं उम्मीदों के दामन लेकर जी रहा हिंदुस्तान हैं ।। @kavyajit#poetajit sonawane

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