पिताजी ! ढ़लते सूरज के साथ अपने काम से लौटते हैं | हिंदी कविता

"पिताजी ! ढ़लते सूरज के साथ अपने काम से लौटते हैं । हालांकि सूरज के ढ़लने से अंधेरा हुआ , लेकिन पिताजी के लौटने से मेरे घर में हमेशा रौशनी हुयी । ©Neeraj Writes"

 पिताजी !
ढ़लते सूरज के साथ 
अपने काम से लौटते हैं ।

हालांकि सूरज के 
ढ़लने से अंधेरा हुआ , 
लेकिन 
पिताजी के लौटने से 
मेरे घर में 
हमेशा रौशनी हुयी ।

©Neeraj Writes

पिताजी ! ढ़लते सूरज के साथ अपने काम से लौटते हैं । हालांकि सूरज के ढ़लने से अंधेरा हुआ , लेकिन पिताजी के लौटने से मेरे घर में हमेशा रौशनी हुयी । ©Neeraj Writes

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