उलझ जाते हैं रिश्ते बड़े मौन के बाद, संभालना चाहो

"उलझ जाते हैं रिश्ते बड़े मौन के बाद, संभालना चाहो फिर भी नहीं संभलते दिल के हालात... सुलझाना हो अगर रिश्तों की डोर को तो, बयां करो अपने अंदर के जज्बात। © Darshana"

 उलझ जाते हैं रिश्ते बड़े मौन के बाद,
संभालना चाहो फिर भी नहीं संभलते
दिल के हालात...
सुलझाना हो अगर रिश्तों की डोर को तो,
बयां करो अपने अंदर के जज्बात।

© Darshana

उलझ जाते हैं रिश्ते बड़े मौन के बाद, संभालना चाहो फिर भी नहीं संभलते दिल के हालात... सुलझाना हो अगर रिश्तों की डोर को तो, बयां करो अपने अंदर के जज्बात। © Darshana

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