अपने चंद फैसलों पर
क्यूं मैं कुछ खफा सी हूं ?
आसानी से ना मिलने वाली
मुश्किल मैं वफा सी हूं।
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कमियां हैं तो क्या हुआ
भीड़ का मैं हिस्सा नहीं।
बन रही बेहतर हर दिन
पुराना मैं किस्सा नहीं
अपने हर जख्म पर
स्वयं मैं दवा सी हूं,
हैं याद खूबियां अपनी
शांत मैं हवा सी हूं।
✍️ सपना
©Sapna Pathania
कमियां हैं तो क्या हुआ?
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