कुछ इस कदर फंस गए हैं, जिम्मेदारियों के बीच की अ | हिंदी कविता

"कुछ इस कदर फंस गए हैं, जिम्मेदारियों के बीच की अब सुकून से खुद से मिल पाए ऐसा मौका कहां है। ©jayshree mishra"

 कुछ इस कदर फंस गए हैं,  जिम्मेदारियों के बीच की 
अब 
 सुकून से खुद से मिल पाए ऐसा मौका कहां है।

©jayshree mishra

कुछ इस कदर फंस गए हैं, जिम्मेदारियों के बीच की अब सुकून से खुद से मिल पाए ऐसा मौका कहां है। ©jayshree mishra

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