जरा विलंब से चल रहा हूं भटका भुला नहीं हूं मैं ख़ा | हिंदी शायरी
"जरा विलंब से चल रहा हूं भटका भुला नहीं हूं मैं
ख़ामोश होकर देख रहा हूं पर मरा नहीं हूं मै
कर ले जतन दबाने के कि आज
आज नहीं तो कल सबके
समक्ष आ ही जाऊगा !!
सत्य जो हूं मैं||✓"
जरा विलंब से चल रहा हूं भटका भुला नहीं हूं मैं
ख़ामोश होकर देख रहा हूं पर मरा नहीं हूं मै
कर ले जतन दबाने के कि आज
आज नहीं तो कल सबके
समक्ष आ ही जाऊगा !!
सत्य जो हूं मैं||✓