आज ठहर गया मै फिर कही , वो सीट स्टेशन की थी आज भी | हिंदी कविता Video

"आज ठहर गया मै फिर कही , वो सीट स्टेशन की थी आज भी बही , आखरी गाड़ी में तेरा जाना याद रहा आखरी मोड़ तक मेरी नजरो का ठहर जाना याद रहा, तलब सिगरेट की पहले कश तक याद है ख्वाब टुटा पाई सिगरेट जमीं पर लगभग राख है , आग उंगलियों पर कही ठहर आए थी , मानो उंगलिया थोड़ा थोड़ा कही जल आए थी , मैंने तेरी याद में राख हो जाना मुनासिब समझा मैंने तेरे ख्वाब में यही ठहर जाना मुनासिब समझा।।।।।। ©Gaurav Rajput "

आज ठहर गया मै फिर कही , वो सीट स्टेशन की थी आज भी बही , आखरी गाड़ी में तेरा जाना याद रहा आखरी मोड़ तक मेरी नजरो का ठहर जाना याद रहा, तलब सिगरेट की पहले कश तक याद है ख्वाब टुटा पाई सिगरेट जमीं पर लगभग राख है , आग उंगलियों पर कही ठहर आए थी , मानो उंगलिया थोड़ा थोड़ा कही जल आए थी , मैंने तेरी याद में राख हो जाना मुनासिब समझा मैंने तेरे ख्वाब में यही ठहर जाना मुनासिब समझा।।।।।। ©Gaurav Rajput

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