यादों की सुनहरी चादर में लपेटा है तुझको, बांधा है

"यादों की सुनहरी चादर में लपेटा है तुझको, बांधा है मोहब्बत की डोरी से पलकों में बसाया है तुझको, कैसे रिहाई दे दूं इस दिल से तुझे, अक्सर दुआओं में खुदा से मांगा है तुझको।।"

 यादों की सुनहरी चादर में लपेटा है तुझको,

बांधा है मोहब्बत की डोरी से पलकों में बसाया है तुझको,

कैसे रिहाई दे दूं इस दिल से तुझे,

अक्सर दुआओं में खुदा से मांगा है तुझको।।

यादों की सुनहरी चादर में लपेटा है तुझको, बांधा है मोहब्बत की डोरी से पलकों में बसाया है तुझको, कैसे रिहाई दे दूं इस दिल से तुझे, अक्सर दुआओं में खुदा से मांगा है तुझको।।

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