इधर उधर मत देखिए, घर में जन हैं चार । संस्कारो पे | हिंदी कविता

"इधर उधर मत देखिए, घर में जन हैं चार । संस्कारो पे है टिका, रिश्तों का संसार । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 इधर उधर मत देखिए, घर में जन हैं चार ।
संस्कारो पे है टिका, रिश्तों का संसार ।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

इधर उधर मत देखिए, घर में जन हैं चार । संस्कारो पे है टिका, रिश्तों का संसार । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

इधर उधर मत देखिए, घर में जन हैं चार ।

संस्कारो पे है टिका, रिश्तों का संसार ।

महेन्द्र सिंह प्रखर

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