"भाव जो छलके पदों पर,
न हों हलके,न हों नश्वर।
चित्त चिर-निर्मल करे वह,
देह-मन शीतल करे वह,
ताप सब मेरे हरे वह
नहा आई जो सरोवर।
गन्धवह हे,धूप मेरी।
हो तुम्हारी प्रिय चितेरी,
आरती की सहज फेरी
रवि,न कम कर दे कहीं कर।
सुमित्रानंदन पन्त जी जयंती
पर शत शत नमन।।
©AbhiJaunpur
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